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उधर, देर रात बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी समेत दूसरे सीनियर नेताओं और टीम अन्ना के मेंबर्स की मीटिंग के बाद दोनों पक्षों ने इसे पॉजिटिव बताया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अन्ना के सहयोगी केजरीवाल ने कहा, 'बीजेपी हमारे बिल के ज्यादातर मुद्दों पर सहमत है। अब हम सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।'
सरकार और टीम अन्ना के बीच चल रहे टकराव के बीच अपनी भूमिका साफ न करने के लिए बीजेपी पार्टी के भीतर व बाहर हो रही आलोचनाओं से उबर आई है। गडकरी ने सरकार से अन्ना को लिखित आश्वासन देने व इस मामले में संसद को प्रक्रियाओं में न बांधने की भी मांग की ताकि अन्ना का अनशन जल्द से जल्द खत्म हो सके।
गडकरी का पत्र लेकर महासचिव जेपी नड्डा व विनय सहस्त्रबुद्धे अन्ना से मिले और जन लोकपाल विधेयक पर उनका समर्थन किया। इसके बाद गडकरी ने खुद इस मुद्दे पर पार्टी का रुख स्पष्ट किया। इसके बाद पार्टी में हलचल भी हुई और शाम को सर्वदलीय बैठक में पार्टी ने सरकारी लोकपाल को खारिज करते हुए अन्ना के जन लोकपाल विधेयक को दृष्टि में रखते हुए संसद में नया विधेयक लाने की मांग भी की।
सूत्रों के अनुसार, देर रात टीम अन्ना के साथ हुई चर्चा में बीजेपी नेताओं ने साफ किया कि वे प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने पर सहमत हैं, साथ ही पार्टी न्यायपालिका के लिए अलग से न्यायिक आयोग के पक्ष में भी है। सासंदों के सदन से बाहर के आचरण को इसके दायरे में लाने व लोकपाल चयन समिति में सरकार के बाहर का बहुमत रखने के भी हक में है।
पार्टी लोकपाल को हटाने के मामले में भी पार्टी सरकार को अधिकार देने के बजाए महाभियोग की प्रक्रिया अपनाने के पक्ष में है। बीजेपी शुक्रवार को सदन में होने वाली बहस में अपने इन मुद्दों को पूरी ताकत से रखेगी।
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