
ब्रह्मचारी ने याचिका में खुद को प्रताडि़त किए जाने और अवैध रूप से हिरासत में रखे जाने का आरोप लगाया है। केंद्र सरकार और एनआईए को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति नारायण ढींगरा ने छह अप्रैल तक जवाब मांगा है। ब्रह्मचारी को तलब करने के लिए एक जांच अधिकारी की खिंचाई करते हुए न्यायमूर्ति ढींगरा ने अगली सुनवाई में उसका भी जवाब मांगा है। ब्रह्मचारी से पूछताछ करना इस अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में नहीं था।
अदालत ने एनआईए के वकील से कहा, ‘प्रथम दृष्टया नोटिस अवैध है। आप ऐसे किसी आदमी को कैसे बुला सकते हैं जो आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं है? यदि किसी आदमी से पूछताछ की जरूरत है तो आपको उस स्थान पर जाना चाहिए था जहां वह रहता है।’
हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी को यह भी निर्देश दिया कि वह ब्रह्मचारी को उस खर्चे का भुगतान करे जो मुम्बई से उनके पंचकूला, हरियाणा पहुंचने और फिर चार जनवरी को दिल्ली पहुंचने में लगा।
अदालत ने कहा, ‘प्रतिवादी (भारत संघ और एनआईए) मुम्बई से दिल्ली वाया पंचकूला सभी खर्च वापस करने के लिए जवाबदेह हैं।’
ब्रह्मचारी के वकील चेतन शर्मा ने कहा कि उनके मुवक्किल को दो विभिन्न स्थानों पंचकूला और दिल्ली में एक ही तारीख पांच जनवरी को जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने के दो नोटिस जारी किये गये।
उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल मुम्बई में रहता है और नोटिस जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा जारी किए गए जो उसके अधिकार क्षेत्र से परे है। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले ब्रह्मचारी ने दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के एक गेस्ट हाउस में पांच जनवरी को आत्महत्या की कोशिश की थी।
उन्होंने एनआईए पर प्रताडऩा का आरोप लगाया था। ब्रह्मचारी ने एनआईए पर उनके मौलिक अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया था और कहा था कि एजेंसी पूछताछ के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। ब्रह्मचारी के वकील ने याचिका में कहा था कि उनके मुवक्किल ने एनआईए की प्रताडऩा के चलते जहर पीकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी।
ब्रह्मचारी ने अदालत से यह निर्देश देने का आग्रह भी किया कि उनसे दिल्ली में नहीं, बल्कि गंगोत्री के नजदीक पूछताछ की जानी चाहिए जहां वह रहते हैं।
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