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रिपोर्ट में धार्मिक आजादी के मामले में केंद्र की सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार को सबसे अधिक अंक दिए हैं और कहा गया है कि भारत के कुछ राज्यों में यह आजादी सीमित है।
अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की ओर से अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी पर जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीए सरकार ने धार्मिक आजादी का सम्मान किया, इसके लिए आर्थिक मदद की और इनकी रक्षा के लिए दखल भी दिया। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा हिंदू राष्ट्रवाद को नकार दिए जाने के बावजूद कुछ राज्यों की सरकारें और स्थानीय सरकारों पर हिंदुत्व का गहरा असर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा देश में सांप्रदायिक माहौल बरकरार रखने की कोशिशों के बावजूद कुछ कट्टरपंथी ताकतें धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले करती रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 28 में से 6 राज्यों- गुजरात, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में ‘धर्मपरिवर्तन विरोधी’ कानून लागू है। अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा, आरएसएस और इससे जुड़े संगठन सार्वजनिक तौर पर अन्य धर्मों का सम्मान करने की बात करते हैं लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं करते।
एक जुलाई 2009 से 30 जून 2010 तक की अवधि पर आधारित इस रिपोर्ट में ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल के हवाले से कहा गया है कि उड़ीसा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ईसाई समुदाय के लोगों पर हमले हुए हैं।
अमेरिका का कहना है कि इस अवधि के दौरान भाजपा ने सभी राज्यों में धर्मपरिवर्तन विरोधी कानून लागू करने, अयोध्या में विवादित जमीन पर मंदिर बनाने और समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए जोर नहीं दिया।
अमेरिकी प्रशासन ने इससे पहले भी गुजरात दंगों को लेकर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर निशाना साधा है। दो साल पहले अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में विश्व गुजराती सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोदी को वीजा देने से इंकार कर दिया गया था।
ओबामा अभी बहुत गुल खिलाएंगे. लेकिन उनकी सत्ता जल्द ही जाने वाली है.
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