भाजपा ने कहा है कि टाटा समूह के मुखिया और देश के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा का बयान अस्पष्ट है जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका समूह अपनी विमानन कंपनी इसलिए शुरू नहीं कर पाया क्योंकि उसने एक मंत्री को 15 करोड़ रुपये की रिश्वत देने से इंकार कर दिया था ।
भाजपा ने रतन टाटा से इस बयान को स्पष्ट करने के लिए कहा ।
देहरादून में आज एक व्याख्यान के दौरान ने रतन टाटा ने कहा कि समूह की जिम्मेदारी संभालने के बाद उन्होंने 1995, 1997 और 2001 में विमानन सेवा में प्रवेश करने की कोशिश की थी।
अंतिम बार 2001 में तत्कालीन भाजपा सरकार के शासन में टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस ने एयर इंडिया के लिये संयुक्त रूप से एकमात्र बोलीदाता के रूप में अपनी बोली वापस ले ली थी। दोनों ने बिक्री के लिये राजनीतिक विरोध का हवाला देते हुए इसे वापस लिया था ।
भाजपा के प्रवक्ता और सांसद राजीव प्रताप रूडी ने रतन टाटा की उक्त टिप्पणी को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि रतन टाटा द्वारा कही गयी बातों को संजीदगी के साथ लिया जाना जरूरी है लेकिन उनकी बातें पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं.
रूडी राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2003 में नागरिक उड्डयन मंत्री थे । उन्होंने कहा कि उन्हें उस समय रतन टाटा द्वारा कही गयी बातों का जवाब देने में अधिक खुशी होगी जब वह अपनी बातों को विस्तारपूर्वक रखें।
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