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सौरऊर्जा निगम ने शुरू की छत वाले सौर पैनलों की सबसे बडी परियोजना


एसईसीआई ने सरकारी क्षेत्र के लिए 1000 मेगावाट के छत पर लगने वाले सौर पीवी योजना शुरू की 

एसईसीआई जारी करेगा छत पर लगने वाली सबसे बडी सौर परियोजना की निविदा, छत पर लगने वाले सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र को बड़े स्तर पर बढ़ावा मिलने की उम्मीद 

वर्ष 2022 तक 40 गीगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना करने के भारत सरकार के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों में ग्रिड से जुड़े छत पर लगने वाले सौर क्षमता को विकसित करने के लिए भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई) आज 1000 मेगावाट क्षमता की निविदा जारी करेगा। एसईसीआई द्वारा छत पर स्थापित की जाने वाली यह सबसे बडी सौर परियोजना है और छत पर लगने वाले सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में इससे बड़े स्तर पर बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

दुनियाभर की बड़ी परियोजनाओं में से एक 1000 मेगावाट की यह निविदा एक ऐसा कदम है, जो देसभर में छत पर लगने वाले सौर क्षमता पैनलों को तेज़ी से आगे बढ़ाएगा और रिहायशी/संस्थानिक एवं सामाजिक क्षेत्र में ईमारतों आदि पर लगाए जाने वाले एसईसीआई की 500 मेगावाट क्षमता वाली पिछली निविदा को पीछे छोड़कर उससे कई कदम आगे निकल जाएगा।

एसईसीआई छत पर लगने वाले सौर ऊर्जा संयंत्रों के क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र का प्रमुख उपक्रम है। यह विभिन्न सरकारी योजनाओं के अंतर्गत 54 मेगावट क्षमता की कई छत पर लगने वाली सौर परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है।

1000 मेगावाट के इस आगामी निविदा का उद्देश्य मुख्य रूप से केन्द्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में सौर ऊर्जा का सदुपयोग करना है। इस निविदा की मुख्य विशेषता, इसकी अभिनव “उपलब्धि आधारित प्रोत्साहन योजना” है, जिसमें तय किए गए लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मंत्रालयों/विभागों को उनके प्रदर्शन के आधार पर धन के रूप में प्रोत्साहन दिया जाएगा।

इस योजना में, छत पर लगे सौर ऊर्जा संयंत्र से जुड़े ग्रिड को एमएनआरई के लिए प्रोत्साहन के रूप में आर्थिक सहायता के साथ स्थापित किया जाएगा। इस व्यवस्था के अंतर्गत सृजित की गई ऊर्जा को ईमारत की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए प्रयोग में लाया जाएगा और यदि अतिरिक्त ऊर्जा का सृजन होता है तो उसे ग्रिड के अंदर विभिन्न माध्यमों से सुरक्षित कर संबंधित राज्य के उपयोग के लिए उसका प्रबंध किया जाएगा।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय एसईसीआई को 21 मंत्रालय/विभागों का आवंटन कर चुका है, इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, संसदीय कार्य मंत्रालय आदि शामिल हैं। मंत्रालयों ने इस परियोजना में भागीदार बनने के प्रति अपनी गहरी रुचि और उत्साह दिखाया है और स्वच्छ ऊर्जा पहल की दिशा में अपने कार्यालयों/ईमारतों की छतों पर ग्रिड से जुड़े एसपीवी ऊर्जा संयंत्रों के कार्यान्वयन के लिए एमएनआरई को “हरित ऊर्जा वचनबद्धता प्रमाणपत्र” उपलब्ध कराने के प्रति अपनी वचनबद्धता का आश्वासन दिया है ताकि ग्लोबल वार्मिंग को कम नियंत्रित करने की दिशा में राष्ट्रीय हित में योगदान दिया जा सके। विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों को एमएनआरई/एसईसीआई द्वारा ग्रिड से जुड़े छत आधारित सौर ऊर्जा संयंत्र प्रणाली के बारे में विस्तार से अवगत भी कराया गया है।

इस प्रणाली के कार्यान्वन के लिए एमएनआरई ने विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की मांग संबंधी जानकारी भी इकट्ठा कर ली है। एमएनआरई और इस परियोजना में रूचि रखने वाले विभिन्न मंत्रालयों द्वारा उपलब्ध कराई गई चिन्हित जगहों के आधार पर, एसईसीआई वहां संभावनाओं का मूल्यांकर कर रही है, जिसे सौर पीवी निर्माता (सोलर पीवी डेवलपर्स - एसपीडी) को उपलब्ध कराया जाएगा।

एसपीडी का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी बोली प्रक्रिया का पालन करते हुए राज्य स्तर पर किया गया है, जिसके तहत एक राज्य एक दर का प्रावधान एसपीडी के लिए किया गया है। 1000 मेगावाट क्षमता को CAPEX और RESCO के बीच 30/70 के अनुपात में कार्यान्वयन के लिए वितरित किया जाएगा।

इस योजना में एमएनआरई के परामर्श से एसईसीआई भुगतान सुरक्षा प्रणाली को भी शुरू कर रहा है, जोकि छत आधारित कार्यक्रम के इतिहास में पहली बार हो रहा है। एसईसीआई ने वित्तीय संस्थानों (एफआई) जैसे कि आईआरईडीए और एसबीआई के साथ विशेष छूट पैकेजों के आधार पर ऋण के निष्पादन के लिए समझौता भी किया है। ये बैंक एवं वित्तीय संस्थान इस कार्यक्रम के तहत सौर पीवी परियोजना को अपनाने वाले संस्थानों आदि को विभिन्न तरह की छूट सहित ऋण उपलब्ध कराएंगे ताकि सौर ऊर्जा एवं हरित ऊर्जा के प्रति इन्हें प्रोत्साहित किया जा सके।

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