पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने आज अपनी स्थापना की 10 वीं वर्षगांठ के अवसर पर समारोह का आयोजन किया गया। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने आज नई दिल्ली, के विज्ञान भवन में आयोजित स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर अगले 15 वर्षों के लिए (2030 तक) विजन और रणनीति दस्तावेज़ जारी किया।
डॉ हर्षवर्धन ने मंत्रालय की उत्कृष्ट उपलब्धियों और वैज्ञानिकों की उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए सराहना की, क्योंकि उनके कार्य का आम आदमी के जीवन में कई तरह से प्रभाव पड़ता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री, श्री वाई.एस. चौधरी ने अपने संबोधन में मंत्रालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए मंत्रालय और वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी। इसरो के अध्यक्ष श्री ए.एस. किरण कुमार ने स्थापना दिवस व्याख्यान दिया।
मौसम विज्ञान, महासागर विकास और परिचालन भूकम्प विज्ञान संबंधी गतिविधियों को एक छत के नीचे लाकर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वर्ष 2006 में स्थापना की गई थी। इस प्रयास का एकमात्र उद्देश्य मौसम, जलवायु और विभिन्न प्राकृतिक खतरों के पूर्वानुमान में सुधार के लिए पृथ्वी प्रणाली की प्रक्रियाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं का समग्र रूप से समाधान करना था। यह मंत्रालय समाज के सामाजिक-आर्थिक हितों के लिए सतत रूप से समुद्रीय संसाधनों का अन्वेषण और दोहन करने की दिशा में प्रौद्योगिकी के विकास के लिए परस्पर रूप से जिम्मेदार है। मंत्रालय का मिशन मौसम, प्राकृतिक खतरों, जलवायु, महासागर और तटीय स्थिति, भूकम्प विज्ञान के लिए सेवाएं उपलब्ध कराना और समुद्रीय जीवन और निर्जीव संसाधनों तथा ध्रुवीय क्षेत्रों का अन्वेषण करना है।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान मौसम, जलवायु, महासागर और भूकंप संबंधी सेवाओं की गुणवत्ता में वायुमंडलीय, तटीय और महासागरीय अवलोकनों, सर्वेक्षणों, भूभौतिकीय अवलोकनों, ध्रुवीय अनुसंधान, पर्याप्त मॉडलिंग रणनीति का विकास, अत्याधुनिक अनुसंधान के आयोजन और मानव संसाधन विकास में निवेश के क्षेत्र में हुए क्रमबद्ध प्रयासों के कारण सुधार हुआ है। देश को उच्च गुणवत्ता की सेवाओं और आर्थिक और सामाजिक हितों में योगदान करने में समर्थ बनाकर विश्व नेता बनाने की दिशा में इन पहलों को और तेज करने की काफी गुंजाइश है। इस अवसर पर उत्कृष्ट वैज्ञानिक कार्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार तथा प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, युवा वैज्ञानिकों और स्कूली के बच्चों को योग्यता प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।
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