मीडिया के एक हिस्से में जोजिला दर्रे के निर्माण के लिए अनुबंध दिए जाने में कथित रूप से अनियमितता की खबरें छपी हैं। इस बारे में जानकारी दी जाती है कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय किसी भी अनुबंध को देने में पूरी पारदर्शिता बरतते हुए सभी नियमों का पालन करता है। इस मामले में भी बोली को तकनीकी रूप से योग्य पाए जाने के बाद पूरे तौर-तरीकों का पालन करते हुए अनुबंध प्रदान किया गया। वित्तीय बोली खोली गई और उद्धृत की गई ‘सेमी एन्यूटी’ राशि इस कार्य को दिए जाने के लिए सीसीईए की मंजूरी के अनुरूप पाई गई।
आगे यह भी जानकारी दी जाती है कि जोजिला दर्रा अनुबंध प्रदान किए जाने के लिए ई-टेंडरिंग प्रक्रिया अपनाई गई। इसका तरीका बीओटी (एन्यूटी) है तथा 7 वर्षों की निर्माण अवधि समेत 22 वर्ष की रियायत अवधि है।
जोजिला दर्रे के निर्माण से एनएच : 1डी (न्यू एनएच-1) के श्रीनगर से कारगिल/लेह की कंनेक्टिविटी सुनिश्चित होगी। जोजिला दर्रे के लिए डीपीआर 2012-13 में तैयार किया गया था। आर्थिक मामलों पर गठित मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 17-10-2013 को अपनी बैठक में बीओटी (एन्यूटी) तरीके पर आधारित 9090 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ इस परियोजना को मंजूरी दी थी।
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