कुछ लोगों को विवाद में रहना अच्छा लगता है। सेवा निवृत जस्टिस मार्कन्डेय काटजू भी कुछ ऐसे ही व्यक्तित्वों में से एक हैं। जब वे न्यायाधीश थे तब भी वे अपने विवादास्पद फैसलों और उटपटांग टिप्पणियों के लिए जाने जाते थे।
जब उन्हें प्रेस काउंसिल का अध्यक्ष बनाया गया तब भी उन्होने पत्रकारों के बारे में कई अनाप शनाप बयान दिये।
अब हाल ही में जब से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तैय्यारियाँ पूरे देश में चल रही थी तो काटजू अपने फेसबुक का उपयोग योग दिवस के कुप्रचार में पूरी तरह कर रहे थे, जो आज भी जारी है. योग दिवस को लेकर मोदी सरकार का उपहास वे लगातार उड़ाते रहे.
इनकी एक फेसबुक पोस्ट का लिंक ऊपर दिया गया है, जिसमे इनको दुबई के एक शख्स मोहम्द आलम ने 20 जून को एक सन्देश लिखा कि 21 जून को योग दिवस नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संघसर चालाक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार की जयंती मनाई जा रही है और इसी लिए मोदी सरकार 21 जून को योग दिवस मना रही है क्योकि 21 जून 1940 को डॉ. हेडगेवार जी का स्वर्गवास हुआ था. फिर आलम ने काटजू जी से इस बारे में उनके विचार जानना चाहे तो इसके उत्तर में काटजू जी ने जो लिखा वो हैरान और निराश कर देने वाला था :
इसके जबाब में उन्होंने लिखा कि हेडगेवार ब्रिटिश एजेंट थे और वे ब्रिटिश की तोड़ो और राज्य करो की नीति पर कार्य कर रहे थे जैसा कि मुस्लिम लीग और संघ वाले कर रहे थे.
इसके बाद काटजू ने आलम से पुछा कि क्या वे यह सन्देश आपके नाम से फेसबुक पर पोस्ट कर सकते हैं ? जिसके जबाब में आलम ने हामी भर दी और फिर यह सन्देश काटजू ने अपनी वाल पर पोस्ट कर दिया.
क्या संघ के पदाधिकारी काटजू के इस बयान पर कोई कानूनी कार्यवाही करेंगे ?
A fb message and my response. The sender gave his consent to mentioning his nameMuhammad AlamJun 20th, 4:00am21.JUNE...
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