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सीधे खाते में रियायत की योजना से देश में एक नई क्रांति की शुरुआत

देश में एक नई तरह की क्रांति आती दिख रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से शुरू की गई डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर टू एलपीजी कस्टमर, जिसका प्रचलित नाम डीबीटीएल या सीधे खाते में रियायत की योजना भी है, सरकार के लिए सब्सिडी चोरी रोकने का नया मार्ग प्रशस्त करती दिख रही है। देश भर में 31​ दिसंबर तक करीब 6 करोड़ लोगों ने इस योजना को अपना लिया था। इसका मतलब यह है कि देश के करीब 15.5 करोड़ एलपीजी ग्राहकों में से इतने ग्राहकों ने अपने एलपीजी कनेक्शन को अपने बैंक खातों से लिंक कर दिया है। इससे रियायत अब सीधे उनके खाते में आएगी, जबकि वह अपने घर पर सिलेंडर की डिलीवरी बाजार भाव पर लेंगे। लेकिन इतने लोगों ने इसे यूं ही नहीं अपनाया। इसके लिए पेट्रोलियम मंत्रालय और इसके एलपीजी—मार्केटिंग विभाग ने पिछले तीन महीने में दिन—रात काम किया है। इतना ही नहीं, इसके लिए स्वयं पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी देर रात तक न केवल अधिकारियों के साथ लगातार बैठक की बल्कि विभिन्न राज्यों के एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग करते हुए कई राज्यों का दौरा भी किया। उन्होंने पेट्रोलियम सचिव और संयुक्त सचिव एलपीजी सहित सभी बड़े अधिकारियों को भी विभिन्न राज्यों के दौरों पर भेजते हुए ग्राउंड जीरो की असली समस्या समझने का सुझाव—निर्देश दिया।

 श्री धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि इस योजना को अमल में लाने के पहले दौर में ही यह पता चल गया था कि सिर्फ 'आधार' से इसे लिंक करने की बाध्यता इसका मार्ग रोक सकती है। यही वजह है कि हमने बैंक खातों को भी योजना के साथ जोड़ा। ऐसे लोग जिनके पास आधार नंबर नहीं है उनके लिए यह सुविधा दी गई कि वह योजना का लाभ लेने के लिए अपना बैंक खाता एलपीजी कनेक्शन से जोड़ें। इसका अप्रत्याशित लाभ हुआ। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक हर दिन करीब 15 लाख एलपीजी ग्राहक इस योजना से जुड़ रहे हैं। अगर यही गति बरकरार रही तो अगले दो महीनों में पूरे देश में डीबीटीएल योजना पूरी तरह लागू हो जाएगी। श्री धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं कि पहले चरण में योजना को सिर्फ 54 जिलों में शुरू किया गया था, जबकि 1 जनवरी 2015 से पूरे देश में यह योजना शुरू की जा रही है। लेकिन ऐसा नहीं है कि 1 जनवरी से ही रियायती सिलेंडर की आपूर्ति रुक गई है और सभी को बाजार भाव पर सिलेंडर मिलने लगा है। एलपीजी ग्राहकों को अगले तीन महीने का समय दिया गया है कि वे इस दौरान अपना आधार कार्ड बनवा लें या फिर अपना बैंक एकाउंट खुलवाकर उसे अपने एलपीजी कनेक्शन के साथ जोड़ें। ऐसे इलाके जहां पर बैंक एकाउंट खोलना मुश्किल हो रहा है वहां पर स्थानीय बैंक अधिकारियों को योजना से जोड़ा गया है, जिससे कि वे ऐसे लोगों के एकाउंट खोल पाएं जिनके पास अभी तक बैंक खाता नहीं है। इसमें प्रधानमंत्री जन धन योजना की भी सहायता हासिल की जा रही है।

उन्होंने कहा कि योजना के सही क्रियान्वयन के लिए देश के सभी 676 जिलों में एक—एक प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति की गई है। पेट्रोलियम सचिव, सभी संयुक्त सचिव, सरकारी तेल कंपनियों के सीएमडी और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही सभी अधिकारियों को एक—एक जिला का प्रभारी बनाया गया है, जिससे कि यह सुनिश्चित हो पाए कि सभी जिलों में डीबीटीएल या रियायत सीधे खाते में योजना सही ढंग से क्रियान्वित हो रही। श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उन्होंने स्वयं भी हरियाणा के पलवल जिले का प्रभार इस योजना के तहत संभाला है। उन्होंने कहा कि योजना को पूरी तरह सफल बनाने के लिए यह जरूरी था कि हम यह देखें कि एक बार बाजार भाव पर घर पर सिलेंडर की डिलीवरी शुरू करने से किसी वर्ग पर इसका असर तो नहीं होगा?  ऐसा तो नहीं होगा कि संबंधित व्यक्ति बैंक जाकर पैसे नहीं ला पाया हो और इस बीच उसके घर की गैस खत्म हो जाए और पैसे की कमी की वजह से गरीब परिवार, निर्धन ग्राहक को परेशानी हो। इस समस्या को देखते हुए हमने 5 किलो के छोटे सिलेंडर को भी रियायत में देने का निश्चय किया। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति 14.2 किलोग्राम के 12 सिलेंडर साल में नहीं लेना चाहता है तो उसके लिए यह विकल्प उपलब्ध होगा कि वह उतने ही वजन के अनुपात में साल में पांच किलो वाले छोटे सिलेंडर ले सकता है।

श्री प्रधान ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति बड़ा सिलेडर नहीं लेता है तो उसे साल में करीब 3 दर्जन छोटे सिलेंडर रियायत पर मिलेंगे। योजना को लेकर पेट्रोलियम मंत्रालय किस कदर सक्रिय है इसका एक अन्य प्रमाण यह है कि उसने देश भर में करीब 12 भाषाओं में करीब 40 करोड़ एसएमएस लोगों को भेज दिए हैं। एक अधिकारी ने कहा कि हमने योजना के प्रचार के लिए 12 सूत्रों का एक व्यापक प्रचार अभियान शुरू किया है। इसके तहत अखबार, टीवी, सिनेमा हॉल में विज्ञापन देने के अलावा पर्चे बंटवाना, बाजार—हाट में जाकर प्रचार करना और ऑटो के पीछे विज्ञापन देना शामिल हैं। इनके अलावा कुछ इलाकों में नुक्कड़ नाटकों का भी मंचन किया जा रहा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जिन 54 जिलों में प्रारंभिक स्तर पर योजना शुरू की गई थी उनमें 31 दिसंबर तक करीब 600 करोड़ रुपये लोगों के खातों में रियायत राशि के तौर पर ट्रांसफर कर दिये गये थे। हालांकि, सरकार ने इसको लेकर कोई आंकड़ा अभी तक नहीं दिया ​है कि इस योजना के पूरी तरह लागू होने पर उसे कितनी बचत होगी। लेकिन एक अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर यह योजना पूरे देश में सही ढंग से लागू हो गई तो सरकार को एलपीजी रियायत के मद में सालाना करीब 6 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। एक अधिकारी ने कहा कि योजना के शुरू होने के बाद अभी तक 30 लाख से अधिक डुप्लीकेट कनेक्शन बंद कर दिये गये हैं। ये ऐसे कनेक्शन थे जिसमें एक ही व्यक्ति ने दो अलग कंपनियों से एलपीजी कनेक्शन ले रखे थे। इसके अलावा एक ही परिवार में पति—पत्नी के नाम पर भी साथ में कनेक्शन थे।

इस अधिकारी ने कहा कि लोग इस योजना को लेकर सभी जानकारी हासिल कर पाएं और उन्हें एक ही जगह तीनों कंपनियों से जुड़ी सभी एलपीजी संबंधित सूचना मिल पाएं, इसके लिए mylpg.in नामक विशेष पोर्टल शुरू किया गया है। इसमें एलपीजी कनेक्शन को डीबीटीएल से जोड़ने, एलपीजी बुक करने, उसे ट्रैक करने, नजदीकी एलपीजी डीलर देखने, योजना से संबंधित शिकायत करने और अपने डीलर को बदलने जैसी सुविधाएं एक ही जगह पर मिल रही हैं। इसके अलावा एलपीजी हेल्पलाइन 18002333555 भी शुरू की गई है। यह कई भाषाओं में है और सुबह से देर शाम तक लोग इस पर फोन करके एलपीजी संबंधित सूचनाएं हासिल कर सकते हैं। यह टोल फ्री नंबर है। ऐसे में ग्राहकों को इस पर कॉल के लिए कोई शुल्क भी नहीं देना होता है।

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