Home » , » भारत की एकता के लिए ‘हिन्दूराष्ट्र’ आवश्यक है !

भारत की एकता के लिए ‘हिन्दूराष्ट्र’ आवश्यक है !

गत ६६ वर्षोंमें ‘सामाजिक एकता’ बढनेकी जगह उसमें दरारें कैसी उत्पन्न हो इस दृष्टीसेही शासनके स्तरपर अत्यधिक प्रयत्न हूएं हैं ! इससे भारतीय लोकतंत्रकी निरर्थकता स्पष्ट होती है । इसका विस्तृत वर्णन लेखद्वारा किया गया है । उसी प्रकार स्वास्थ्यकी दृष्टीसे भी भारत कैसा पिछडा है तथा इन समस्याओंका समाधान ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना’में ही है यह हम समझ लेंगे ।

१. जातिवाद – अंग्रेजोंद्वारा बोया गया तथा मतांध राजनीतिज्ञोंद्वारा खाद-पानी डालकर सींचा गया विषवृक्ष !

जबतक अंग्रेज भारतके शासक नहीं बने थे, तबतक हिन्दुओंकी जाति-जातिमें संघर्षका उल्लेख कहीं नहीं पाया जाता था । छत्रपति शिवाजी महाराजने तो हिन्दुओंकी सर्व जातिके लोगोंकी सहायतासे ‘हिंदवी स्वराज्य’की स्थापना की । पेशवाओंने भी सर्व जातियोंके सहयोगसे ही सीमापार (अटककेपार) झंडा फहराया ! अंग्रेजोंने ‘फूट डालो और राज्य करो’, यह नीति अपनाकर कुटिलतापूर्वक हिन्दुओंमें जातिभेदके विषैले बीज बोए ।

१ अ. स्वार्थके लिए ८ से १० जातियोंकी संख्या ३,५०० से अधिक बनानेवाले धूर्त राजनीतिज्ञ !

‘अस्पृश्य (Untouchable)’ डॉ. अंबेडकरजीका ग्रंथ है । उसमें उन्होंने कहा है, ‘धर्मशास्त्रमें केवल ८ से १० जातियोंका ही उल्लेख है ।’ अंग्रेजोंने ‘सनातन हिन्दू धर्म हीन एवं जंगली है’, यह दर्शाने हेतु षड्यंत्र रचे । वर्ष १९३५ में उनकेद्वारा की गई जनगणनामें अस्पृश्य जातियोंकी संख्या लगभग १५० है । स्वतंत्रताके पश्चात वह १,००० से भी अधिक हो गई । वर्ष १९९० में स्थापित ‘मंडल आयोग’ने उससे भी आगे बढकर पिछडी जातियोंकी संख्या २,००० से अधिकतक पहुंचा दी । वर्तमान २१ वीं शताब्दीके आरंभमें वह संख्या ३,५०० से अधिक है तथा दिन-प्रतिदिन वह बढती ही जा रही है । धूर्त राजनीतिज्ञ मतोंके लिए उन्हें मान्यता देकर हिन्दू समाजका विध्वंस कर रहे हैं ।’ - गुरुदेव डॉ. काटेस्वामीजी

वर्तमानमें समाजमें जो जातिवाद फैला हुआ है, उसका कारण मुख्यतः राजनीति ही है ! भारतीय राजनीति तथा निश्चित कालावधिमें होनेवाले चुनाव जातिनिर्मूलन करनेकी अपेक्षा जातीय अस्मिताको बढावा दे रहे हैं ।

१ आ. ‘हमें पिछडा वर्ग घोषित करें’ इस मांग में विरोधाभास !

पिछडेपन से विकास की ओर जाना ही राष्ट्र की प्रगति है । ऐसा होते हुए भी स्वतंत्रता के ६-७ दशकों के उपरांत भी ‘हमें पिछडा वर्ग घोषित करें’ ऐसी मांग की जाती है, क्या यह लोकतंत्र तथा राष्ट्रकी प्रगतिके लिए विरोधाभास नहीं है ?

२. आरक्षण – गुणवत्ता को निराश करनेवाली नीति !

आरक्षण भारतीय संविधानमें प्रारंभमें केवल १० वर्षोंके लिए रखा गया था; परंतु आगे राजनेताओंने सत्ता-लालसामें उसे बढावा दिया । विद्यालय, महाविद्यालय, शासकीय कार्यालय, निगम-मंडल इत्यादिमें लगभग ५० प्रतिशततक; जबकि कुछ स्थानोंमें ५० प्रतिशतसे अधिक पद आरक्षित होते हैं । समाजके अनेक घटक आरक्षण पानेके लिए प्रयासरत रहते हैं । सर्व राजनीतिक दल उन्हें निरंतर प्रोत्साहित करते हैं । अब तो शासनने पदोन्नतिमें भी आरक्षण देनेका निर्णय लिया है । इससे आगेके चरणमें ‘निजी क्षेत्रोंमें भी आरक्षण’की मांग की जा रही है ।

२ अ. आरक्षण अर्थात अप्राकृतिक पद्धति !

        आरक्षण मूलतः अप्राकृतिक है तथा अप्राकृतिकताका परिणाम सदैव विपरीत ही होता है एवं वह अधिक कालतक नहीं रह सकती । इसलिए यह आरक्षणकी पद्धति स्थायीरूपसे समाप्त करना आवश्यक है । विकासशील देशके नागरिक होनेके कारण भारतीयोंके लिए विश्वमें कहीं भी कोई पद आरक्षित नहीं हैं, यह अवश्य ध्यान रखें ।

किसी अपंगद्वारा बैसाखी पेंâककर स्वयंके पैरोंपर चलनेका अर्थ है विकास; परंतु भारतमें ‘आरक्षण’रूपी बैसाखियां रखनेको ही विकास समझा जाता है !

२ आ. आरक्षणके दुष्परिणाम !

२ आ १. प्रतिभा पलायन (ब्रेन ड्रेन) : अर्थात अर्थार्जनके लिए देशके बुदि्धमान वर्गका विदेशमें बस जाना । यह अधिकांशतः आरक्षणके कारण होता है ।

२ आ २. योग्यता रखनेवालोंके साथ अन्याय : 

आरक्षणका अर्थ है आवश्यक योग्यता न रखनेवालोंको केवल पिछडापन, जाति, लिंग इत्यादि आरक्षणके मापदंडोंपर पद देना । इसीका अर्थ है अधिक योग्य व्यकि्तयोंके साथ अन्याय कर अल्प योग्यता रखनेवालोंके हाथमें कोई कार्यालय, संस्था अथवा राष्ट्र सौंपना ! ऐसी अन्यायकारी नीति क्या कभी राष्ट्रको प्रगतिपथपर ले जा सकती है ?

कभी-कभी ‘महिला आरक्षण’के कारण अशिक्षित अथवा सामाजिक क्षेत्रमें अनुभवहीन महिलाएं केवल नामके लिए निर्वाचित होती हैं । प्रत्यक्षमें उनके नामसे उनके पति राजनीति करते हैं । लालूप्रसाद यादवने अपनी पत्नी राबडीदेवीको बिहारके मुख्यमंत्रीपदपर बिठाकर स्वयं राज्यकार्यभार संभाला था ।

२ आ ३. भ्रष्टाचारमें वृदि्ध : 

‘जैसे-जैसे आरक्षण बढता है, उसी गतिसे भ्रष्टाचार फैलता है’, इस सिद्धांतके अनुसार स्वतंत्रताप्रापि्तके पश्चात शासकीय क्षेत्रमें आरक्षण संस्कृतिने पांव पसारे तथा शासकीय कार्यालय भ्रष्टाचारके गढ बन गए ।

राजनेताओंने गत ६-७ दशकोंके अनुभवसे आरक्षणके कारण हुई हानिकी ओर ध्यान नहीं दिया; इसलिए भारत सर्व क्षेत्रोंमें पिछड गया है !  

जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम् ।


0 comments :

Post a Comment

Join our WhatsApp Group

Join our WhatsApp Group
Join our WhatsApp Group

फेसबुक समूह:

फेसबुक पेज:

शीर्षक

भाजपा कांग्रेस मुस्लिम नरेन्द्र मोदी हिन्दू कश्मीर अन्तराष्ट्रीय खबरें पाकिस्तान मंदिर सोनिया गाँधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राहुल गाँधी मोदी सरकार अयोध्या विश्व हिन्दू परिषद् लखनऊ जम्मू उत्तर प्रदेश मुंबई गुजरात दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश श्रीनगर स्वामी रामदेव मनमोहन सिंह अन्ना हजारे लेख बिहार विधानसभा चुनाव बिहार लालकृष्ण आडवाणी मस्जिद स्पेक्ट्रम घोटाला अहमदाबाद अमेरिका नितिन गडकरी सुप्रीम कोर्ट चुनाव पटना भोपाल कर्नाटक सपा सीबीआई आतंकवाद आतंकवादी पी चिदंबरम ईसाई बांग्लादेश हिमाचल प्रदेश उमा भारती बेंगलुरु केरल अरुंधती राय जयपुर पंजाब इस्लामाबाद उमर अब्दुल्ला डा़ प्रवीण भाई तोगड़िया धर्म परिवर्तन महाराष्ट्र सैयद अली शाह गिलानी हिन्दुराष्ट्र अरुण जेटली मोहन भागवत राष्ट्रमंडल खेल वाशिंगटन शिवसेना इंदौर गंगा हिंदू कश्मीरी पंडित गोधरा कांड दवा उद्योग बलात्कार भाजपायूमो मंहगाई यूपीए साध्वी प्रज्ञा सुब्रमण्यम स्वामी चीन बी. एस. येदियुरप्पा भ्रष्टाचार शिवराज सिंह चौहान हिंदुत्व हैदराबाद इलाहाबाद काला धन गौ-हत्या चंडीगढ़ चेन्नई तमिलनाडु नीतीश कुमार शीला दीक्षित सुषमा स्वराज हरियाणा अशोक सिंघल कोलकाता जन लोकपाल विधेयक नई दिल्ली नागपुर मायावती मुजफ्फरनगर मुलायम सिंह रविशंकर प्रसाद स्वामी अग्निवेश अखिल भारतीय हिन्दू महासभा आजम खां उत्तराखंड फिल्म जगत ममता बनर्जी लालू यादव अजमेर प्रणव मुखर्जी बंगाल मालेगांव विस्फोट विकीलीक्स अटल बिहारी वाजपेयी आशाराम बापू ओसामा बिन लादेन नक्सली अरविंद केजरीवाल एबीवीपी कपिल सिब्बल क्रिकेट तरुण विजय तृणमूल कांग्रेस बजरंग दल बसपा बाल ठाकरे राजिस्थान वरुण गांधी वीडियो सोहराबुद्दीन केस हरिद्वार असम गोवा मनीष तिवारी शिमला सिख विरोधी दंगे सिमी इसराइल एनडीए कल्याण सिंह पेट्रोल प्रेम कुमार धूमल सैयद अहमद बुखारी अनुच्छेद 370 जदयू भारत स्वाभिमान मंच हिंदू जनजागृति समिति आम आदमी पार्टी विडियो-Video हिंदू युवा वाहिनी कोयला घोटाला मुस्लिम लीग छत्तीसगढ़ हिंदू जागरण मंच सीवान
registration for Z.com Research India

लोकप्रिय ख़बरें

ख़बरें और भी ...

राष्ट्रवादी समाचार. Powered by Blogger.

नियमित पाठक