अयोध्या में रामलला का अस्थाई मंदिर खतरे में है. मंदिर में लगाई गईं 12 बल्लियां सड़ गई हैं और बोझ उठाने के काबिल नहीं हैं.
मंदिर की तिरपाल की छत चार बड़ी व 28 पतली बल्लियों के सहारे टिकी है. सड़ चुकी बल्लियों को बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति जरूरी है. विशेष परिस्थितियों में ही यहां किसी तरह का बदलाव या सुधार किया जा सकता है. इसकी प्रक्रिया शुरू भी की जा चुकी है, कोर्ट में यह अर्जी पेश भी की गई है. यहां की देखरेख अधिग्रहीत क्षेत्र के रिसीवर द्वारा की जाती है. कमिश्नर यहां के पदेन रिसीवर हैं.
इसके अलावा इलाहाबाद हाइकोर्ट के आदेश पर जिला जज स्तर के दो न्यायिक अधिकारी तथा रामजन्मभूमि स्वामित्व वाद के पक्षकार प्रत्येक सप्ताह में रविवार को यहां जायजा लेकर रिपोर्ट हाइकोर्ट को भेजते हैं.
बल्लियों के सड़ने के बारे में करीब चार माह पूर्व ही इस टीम ने भी रिपोर्ट दी है. बीते रविवार को दो न्यायिक अधिकारियों टीएम खान (जिला जज वाराणसी) और एसके सिंह (जिला जज उन्नाव) ने वाद के पक्षकारों व उनके वकीलों के साथ यहां का निरीक्षण किया था. बल्लियों के सड़ने से जो स्थिति है, उससे मुख्य ढांचे को सीधा खतरा तो नहीं माना जा रहा है, लेकिन तेज आंधी या तूफान आने पर ढांचा ढह सकता है.
मंदिर के लिए आदोंलन करने वाले हिन्दू संगठन कहाँ है ?
0 comments :
Post a Comment