भारतीय पुरातत्व विभाग ने हाल ही में कश्मीर के शंकराचार्य हिल का नामकरण `तख्त-ए-सुलेमान’ किया है । इतना ही नहीं, अपितु भारतीय पुरातत्व विभाग ने वहां के सूचना फलक पर शंकराचार्य हिलके विषयमें विपर्यस्त (उलटा-पलटा) जानकारी भी मुद्रित की है । इस विषयमें कश्मीर के हिदुओं ने संतप्त प्रतिक्रिया व्यक्त की है । अब हिंदुओ को भारतीय पुरातत्व विभाग को वैध मार्ग से फटकार लगानी चाहिए तथा वापस मूल नाम रखने के लिए विवश करना चाहिए.
कश्मीर के प्राचीन इतिहास तज्ञ प्रेधुमन के जोजेफ धर द्वारा बताया गया कि पहले के सूचना फलक में परिवतर्न कर ‘तख्त-ए-सुलेमान’ यह सूचना फलक प्रकाशित करनेक प्रकरण आपत्तिजनक है । इस निष्कर्षतक वे कैसे आए, इसका उत्तर उन्हें देना पडेगा । वर्तमानमें यूरोपके एक इतिहासकार ने इस स्थान का भ्रमण किया था । उस समय लोगों को बताई जानेवाली झूठी जानकारी के विषयमें उसने आश्चर्य व्यक्त किया । इस नामकरण का कोई भी ऐतिहासिक आधार नहीं । यह कृत्य राजनीतिक हेतु प्रेरित है ।
आश्चर्य की बात यह है कि सुलेमान तथा आदि शंकराचार्य का एक दूसरे के साथ कोई संबंध नहीं । भारत के प्रत्येक व्यक्ति को पता है कि आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों दिशाओं का भ्रमण किया था तथा प्रत्येक दिशा में मठकी स्थापना की थी । साथ ही उन्होंने सर्वत्र छोटे-बडे मंदिरों की स्थापना की थी । उसमें तामिलनाडु का कांचीपुरम्, कर्नाटक का कोलूर तथा पाकव्याप्त कश्मीर का शारदा आदि मंदिर समाविष्ट हैं । पहले कश्मीर को शारदा देश अथवा शारदा पीठ कहकर संबोधित किया जाता था । उस समय यह शिक्षा का विश्वविख्यात केंद्र था । कश्मीर में सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक केंद्र निर्माण करने हेतु आदि शंकराचार्य का बहुत बडा योगदान था । यहां के शंकराचार्य हिल का `तख्त-ए-सुलेमान’, नामकरण कर पुरातत्व विभाग प्राचीन भारतीय परंपरा नष्ट करनेका प्रयास कर रहा है ।
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