विश्व भर में भारत के योग आयुर्वेद का ज्ञान प्रकाश फैलाने वाले बाबा रामदेव के ट्रस्ट पर कांग्रेसी नीचता की गाज गिरी है। इस ट्रस्ट को अब तक धर्मार्थ संस्था का दर्जा प्राप्त था जिस कारण यह सस्ते दामों पर आयुर्वेदिक दवाएँ भारतीय एवं विदेशी उपभोक्ताओं को उपलब्ध करा पाता था। परन्तु इसे बाबा के फैलते साम्राज्य से घबराई बहुराष्ट्रीय दावा कंपनियों के पैसे की बदौलत हुयी कार्यवाही समझें या बाबा के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में प्राण गंवाती कांग्रेस की फुफकार, अचानक बाबा के न्यास को धर्मार्थ संस्थाओं से हटा कर व्यावसायिक बना दिया गया है और आयकर विभाग ने २००९-२०१० में हुयी १२० करोड़ रुपये की आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री पर उन्हें ५८ करोड़ टैक्स जमा करने का आदेश दिया है।
पतंजलि योग पीठ, दिव्या योग मंदिर ट्रस्ट एवं भारत स्वाभिमान ट्रस्ट पर यह राशि "व्यावसायिक गतिविधियों" में लिप्त होने का आरोप लगा कर ठोकी गयी है। राष्ट्र विरोधी एवं आयुर्वेद विरोधी इस कुकृत्य को करने के लिए आयकर विभाग ने बाबा के सभी ट्रस्ट का विशेष औडिट किया।
उधर बाबा के प्रवक्ता श्री तिजारावाला ने कहा है कि वे इस निर्णय के विरुद्ध आयकर आयुक्त से गुहार लगायेंगे।
सूत्रों ने यह भी बताया है कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बाबा के विरुद्ध बैठाई गयी जांच में भी तेजी लाने की संभावना है। इसके अतिरिक्त बाबा के विभिन ट्रस्ट की इस वर्ष की आय पर पहले से ही टैक्स काटने की भी तैयारी है। बाबा को फेमा क़ानून के अंतर्गत ७ करोड़ के हेर-फेर के सिलसिले में भी परखा जा रहा है। यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि दिव्या योग मंदिर, पतंजलि योग पीठ एवं भारत स्वाभिमान की कुल संपत्ति ४२५ करोड़ ही है और केवल एक वर्ष की आय के लिए ५८ करोड़ का टैक्स लगा है।
बाबा के समर्थकों में इस सूचना से रोष व्याप्त है और उनका स्पष्ट आरोप है कि ३ जून को होने वाले विशाल सत्याग्रह से पहले घबराई हुई कांग्रेस ऐसी नीचता का प्रदर्शन कर रही है।
साभार : hindi.ibtl.in
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