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रमेश ने दिल्ली में एक व्याख्यान में कहा, ‘‘आप जानते हैं कि विद्वान लोग वर्ष में समय की गणना करते हैं। नेता और मंत्री महीनों में वक्त की गणना करते हैं। ..और जो खतरे में होते हैं वे वक्त की गणना दिनों में करते हैं।’’ उनके यह कहने पर व्याख्यान में मौजूद श्रोताओं में ठहाका लग गया।
रमेश ने यह टिप्पणी यह कहते हुए की कि वह अब तक यह सुनिश्चित कराने में सफल नहीं हो पाये हैं कि पर्यावरणविद् हरिणी नागेंद्र उनके साथ काम करें।
उन्होंने कहा कि कई कोशिशें करने के बावजूद पर्यावरणविद् उनकी बात से राजी नहीं हो पायी हैं।
इस व्याख्यान में नागेंद्र ने भी व्याख्यान दिया। उन्होंने नोबेल पुरस्कार सम्मानित प्रोफेसर इलिनोर ओस्ट्रॉम के साथ मिलकर एक पुस्तक लिखी है।
रमेश ने कहा कि पर्यावरण मंत्री बनने के बाद ऑस्ट्रॉम की पुस्तक पढ़कर उन्हें काफी लाभ हुआ है।
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